कुछ सपने थे उधार के वो भी आंखों के गढ्ढे में दब गए उड़ने से पहले ही हमारे पर कट गए । कुछ सपने थे उधार के वो भी आंखों के गढ्ढे में दब गए उड़ने से पहले ही हमारे ...
पहले जो खुली आँखों से देखते थे सपने अब आँखे मूंदने पर भी नहीं आते इस मुकाम पर आ पहुं पहले जो खुली आँखों से देखते थे सपने अब आँखे मूंदने पर भी नहीं आते इस मुका...
एक मजदूर के मेहनत का इतना दाम कि कर सके आवश्कता का इन्तजाम। एक मजदूर के मेहनत का इतना दाम कि कर सके आवश्कता का इन्तजाम।
सब की तो इस जगत में चाहत होती पाएं प्यार, प्यार सहित जग स्वर्ग है सदा करें हम प्यार। सब की तो इस जगत में चाहत होती पाएं प्यार, प्यार सहित जग स्वर्ग है सदा करें हम...
चलो चलें आज सपनों के देश में जाकर देखें। चलो चलें आज सपनों के देश में जाकर देखें।
सपनों के बिखरने की पीड़ा सपनों के बिखरने की पीड़ा